नमस्कार, मैं
आपका …….
१३ सितम्बर को द सी एक्सप्रेस में प्रकाशित हो चुका है........
नमस्कार की महिमा अपरम्पार है। वो जिन्दगी भी कोई जिन्दगी है जिसमें कोई नमस्कार से दो चार ना हुआ हो। नमस्कार ना कोई व्यवहार है ना ही कोई सत्कार प्रतीक है, नमस्कार तो सीधा-सीधा व्यापार है या कहें व्यापार का एक हथियार है, इस हाथ नमस्कार को किया स्वीकार, उस हाथ चढ गया मिस्टर नमस्कार का मिस्टर स्वीकार पर उधार। नमस्कार व्यापार क्षेत्र का सबसे बड़ा बाजार है, नमस्कार अपनाओ फिर क्या दिन क्या रात हर पल व्यापार में चमत्कार ही चमत्कार है। एक बार नमस्कार स्वीकार हो जाय, फिर मि॰ स्वीकार के पास जो भी है उस पर मि॰ नमस्कार का पूरा-पूरा अधिकार है। यदि किसी मौके पर मि॰ स्वीकार मि॰ नमस्कार के वायदा कारोबार में खरे नहीं उतरते तो फिर तो सोने पे सुहागा, इसके बाद मि॰ स्वीकार जन्म जन्मान्तर के कर्जदार हो गये। इसके बाद मि॰ नमस्कार के सारे सपनें ब्याज से ही पूरे हो जाने हैं, मूल नमस्कार का उधार अपनी जगह ज्यों का त्यों बरकरार रहेगा। नमस्कार पूर्णतः मुनाफे का बाजार है, नुकसान का इसमें कही से कही तक नहीं आसार है।
नमस्कार की महिमा अपरम्पार है। वो जिन्दगी भी कोई जिन्दगी है जिसमें कोई नमस्कार से दो चार ना हुआ हो। नमस्कार ना कोई व्यवहार है ना ही कोई सत्कार प्रतीक है, नमस्कार तो सीधा-सीधा व्यापार है या कहें व्यापार का एक हथियार है, इस हाथ नमस्कार को किया स्वीकार, उस हाथ चढ गया मिस्टर नमस्कार का मिस्टर स्वीकार पर उधार। नमस्कार व्यापार क्षेत्र का सबसे बड़ा बाजार है, नमस्कार अपनाओ फिर क्या दिन क्या रात हर पल व्यापार में चमत्कार ही चमत्कार है। एक बार नमस्कार स्वीकार हो जाय, फिर मि॰ स्वीकार के पास जो भी है उस पर मि॰ नमस्कार का पूरा-पूरा अधिकार है। यदि किसी मौके पर मि॰ स्वीकार मि॰ नमस्कार के वायदा कारोबार में खरे नहीं उतरते तो फिर तो सोने पे सुहागा, इसके बाद मि॰ स्वीकार जन्म जन्मान्तर के कर्जदार हो गये। इसके बाद मि॰ नमस्कार के सारे सपनें ब्याज से ही पूरे हो जाने हैं, मूल नमस्कार का उधार अपनी जगह ज्यों का त्यों बरकरार रहेगा। नमस्कार पूर्णतः मुनाफे का बाजार है, नुकसान का इसमें कही से कही तक नहीं आसार है।
सुबह सुबह घंटी बजी, मिस्टर स्वीकार ने आँख
मलते हुए दरवाजा खोला तो देखा कि बत्तीस इंच की मुस्कुराती नमस्कार लिए आ धमके थे
मिस्टर नमस्कार। क्यों पहचाना मिस्टर
स्वीकार, लोजी मैने भी कैसा सवाल पूछ लिया, कैसे
नहीं पहचानेंगे भला अभी कल ही हुई थी हमारी आपकी नमस्कार। पहले आपकी जान पहचान करा
देता हूँ, ये हैं मि॰ स्वीकार और ये हैं हमारे रिश्तेदार, इनकी एक समस्या थी कह
रहे थे कि यदि मि॰ स्वीकार चाहें तो हो सकते है समस्यानिराकरण में मददगार। हमने कहा कि इसमें क्या
संकोच करना, मि॰ स्वीकार के तो है बहुत उच्च विचार, वो तो हर है हर किसी के मददगार, हमने कहा चलो हो जाओ
तैयार, अभी चलते हैं मि॰
स्वीकार के द्वार। मि॰ स्वीकार के पास मदद
के अलावा अब कोई रास्ता नहीं था सो मदद हो गई। मि॰ नमस्कार जाते जाते धन्यवाद देना
भी नहीं भूले। देखिए मि॰ स्वीकाए यूँ तो कभी मि॰
कुविचार भी हमारे किसी काम को मना नहीं करते लेकिन फिर भी हमने सोचा कि
आपसे इस बहाने मुलाकात हो जायेगी। हम अपने काम के लिए तो किसी के पास जाते नही है
बस समाज सेवा धर्म ही निभाते है।
कौन कहता है नमस्कार करने
वाला लाचार है, नमस्कार करने वाला ही सबसे मालदार है। लाचार तो बेचारा वो है जिसने
किया नमस्कार को स्वीकार है। जिसने सबसे ज्यादा किया नमस्कार को स्वीकार है, आज बाजार में वही सबसे
ज्यादा लदा हुआ कर्जदार है।