Tuesday 11 August 2015

आधुनिक गणित का घाट-योग सिद्धान्त (व्यंग्य)

योग जीवन की दिशा दिखाता है, जीवन में एक नई स्फुर्ति लाता है लेकिन इस योग ने गणितज्ञो के ज्ञान में जीरो का भाग लगा दिया है। गणित में अनुलोम विलोम में ऐसी गुणा की कैंची लगाई है कि सूत्र मे अनुलोम लगाओ तो परिणाम में विलोम निकलता है। परम्परागत गणित के अनुसार योग के उपरान्त परिणाम बडा़ होगा, वहीं दूसरी तरफ घाट के उपरान्त परिणाम कम प्राप्त होगा। लेकिन आधुनिक गणितानुसार बढे वजन में योग के उपरान्त घटा वजन प्राप्त होता है। इस आधुनिक गणित का आजकल खूब प्रयोग हो रहा है, हरिद्वार के योग से बढे़ वजन को घटाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ बनारस के घाट से सीटों को बढाने के काम को बखुबी अंजाम दिया गया। अच्छे दिन के बारे में कोई जो भी सोचता हो लेकिन योग का इतना फायदा तो है ही कि योग अपनाकर हर कोई अपना दिन अच्छा कर सकता है। अब आधुनिक गणित के योग से क्या घटेगा या घाट पर क्या बढेगा, जिसको समझ नहीं आ रहा है, इस आधुनिक गणित का घाट-योग सिद्धान्त जल्द ही समझना होगा।
हर कोई अपने-अपने कर्मक्षेत्रानुसार अपना अलग ही कर्माआसन लगाए बैठा है। कर्मक अपनी टालमटोलासन मुद्रा में अपने कर्तव्य को द्रढ निश्चय से निभा रहा है, तर्क-वितर्क कर चर्चक विरोधासन मुद्रा में अपने कर्तव्य को निभा रहा है, अपने-अपने क्षेत्र के सेवक सेवनयोग का भोग लगाकर अन्तरात्मा को तृप्त करने में जुटे हैं, विवादप्रेमी जैसे ही अपने ही प्रेमजाल में फंसते है, तुरन्त पल्टासन लगा ध्यानमुद्रा में चले जाते है। ललितासन, आसन की बिल्कुल ताजातरीन खोज है। आरोप लगने पर बडे़-बडे़ योग विद्वानों तक के चेहरे लटकते हुए देखे गए लेकिन ये कैसा भौगासन कि गंभीर संकट में भी चेहरा पर लंदन सी चमक फैली हुई थी। लंदन की चमक के सामने तो इंडिया के त्यौहार की चमक भी लाचार दिखाई दे रही थी।
मास्टर जी का लगवाया गया मुर्गासन अबतक का सबसे तीव्र परिणाम देने वाला आसन कहा जाएगा, जबकि घपलासन एक ऐसा चक्राआसन है, जिसके चक्र उधर्वचक्र के चक्कर में चर्चक भी चकरा जाता है, लेकिन परिणाम विचाराधीन ही रहता है। वो अकर्मक जिसका दिन अर्धनिंद्रा मुद्रा में उठासन से शुरु होता है, आफिस में लेट पहुँचने पर मूँहलटक मुद्रा में बोस के डाटासन, कस्टूमर्स की गुस्सैल मुद्रा के दुर्वासन, घर लौटने पर गृहस्वामिनी की लालवर्ण मुद्रा के टिनकासन से होता हुआ, थकान मुद्रा में शवासन की गति को प्राप्त हो जाता है, वो अकर्मक राजपथ के योगासन में भाग लगाने के लिए कौन सी गुणा में कैची चलाएगा। ना जाने, अकर्मक को ये आधुनिक गणित का घाट-योग सिद्धान्त कब तक समझ आएगा।

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