Tuesday 11 August 2015

गीदड दहाडे़गा, कुत्ता हिनहिनाएगा (व्यंग्य)

सब सुबह स्वास्थवर्धन के लिए घूमने जाते हैं, लेकिन ज्ञानप्रकाश अपने स्वास्थवर्धन के साथ अपना ज्ञानवर्धन भी करते हैं। सुबह टहलते हुए, आटे के इन्तजार में चीटियों से, रातभर के जगे कुत्तो से, चिडियाओं के चहकने से, मच्छरों की भिन्न-भिन्न से रुबरु होते हैं। ज्ञानप्रकाश आज घूमने निकले तो अजब-गजब नजारा था, कुत्ते की आखें गुस्से से लाल थी, चीटियों की आखों मे नींद भरी हुई थी और खडी़-खडी़ हाथियों की तरह झूम रही थी। कुछ हिम्मत बटोरकर चीटियों की तरफ आटा लेकर जैसे ही ज्ञानप्रकाश के कदम बढ़ते हैं, सारी चीटियाँ एकसुर में चिल्लाती है, ठहरो। हम अभी-अभी जंगल से सभी जानवरों की सभा से लौटे हैं, तुमने हमारे साथ धोखा किया है।
यदि ज्ञानप्रकाश अपनी अभिव्यक्ति किसी भी जानवर के रूप में कर सकते हैं और करते भी हैं, हमने तुम्हे एक-दूसरे के लिए कहते भी सुना है कि कुत्ते की तरह मत भौंक, बिल्ली की तरह मिम्याने लगा, फ़लाना शेर की तरह दहाड़ता है आदि-आदि हमारी माँग है कि बिल्ली को शेर की तरह दहाड़ने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, जरुरत पड़ने पर हाथी भी बिल्ली की तरह मिम्याने के लिए स्वतंत्र हो, गीदड भी बन्दर घुडकी देने की स्वतंत्रता हो, बन्दर को भी हाथी की तरह चिंघाड़ने की स्वतंत्रता हो, गधे को चिडियाओं की तरह चहकने की स्वतंत्रता हो, लोमडी को गधे की तरह ढैचु-ढैचु करने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। गधे को गधैया को अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करनी होती है तो भी उसे धैचु-धैचु से ही काम चलाना पड़ता है, गधे को मोर की तरह नाचते हुए अपना प्रेमाग्रह करने की छूट़ मिलनी चाहिए। चीटी को चैटे का प्रेमाग्रह की स्वीकारोक्ति के लिए कोयल की तरह कूँ-कूँ करने का अधिकार होना चाहिए।
हमारी आज की सभा में निर्णय लिया गया है कि हमारी माँग माने जाने तक हम असहयोग आन्दोलन करेंगे, पुतला फूकेंगे, मार्च निकालेंगे, लेकिन अपने अधिकार लेकर रहेंगे, अब गीदड दहाडे़गा, कुत्ता हिनहिनाएगा। ज्ञानप्रकाश ने ने सभी जानवरों को बहुत समझाया लेकिन भारी मशक्कत के बाद भी जब ज्ञानप्रकाश की बात ना बनी तो ज्ञानप्रकाश अपनी अन्तिम कोशिश के लिए शेर को सपरिवार चाय पर बुलाया। ज्ञानप्रकाश ने शेर को समझाया कि तुम इसीलिए राजा हो क्योंकि दहाड़ने का अधिकार केवल तुम्हारे पास है, यदि सभी दहाड़ने के लिए स्वतंत्र हो गये तो तुम्हारी राजा की कुर्सी छिनने में चार दिन भी नहीं लगेंगे। शेर को बात तुरन्त समझ आ गयी और शेर ने तुरन्त घोषणा कर दी कि ये मांग जंगल हित में नहीं है, इसलिए मांग खारिज की जाती है।

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