Tuesday 11 August 2015

बिन बादल सब सून, मानसून कम सून” (व्यंग्य)

ना मेघा, ना मानसून, नकली है ये जून या ठेंगा दिखाएगा मानसून। मानसून जी ना जाने क्यों इतनी गर्मी खाए जा रहे हैं, हम इतना मानतान कर इन्हे बुला रहे है और ये अपने हल्केपन का अहसास दिलाकर हमारा अपमान किए जा रहा है। हम चिल्ला रहे हैं कम सून - कम सून, मानसून जी कह रहे हैं कि इन्तजार करो अप टू एण्ड आफ जून हम यहाँ गर्मी से भुन रहे हैं, मानसून जी जाने कहाँ व्यस्त है जो हमारी एक नहीं सुन रहे हैं। मानसून जी क्या आपके आवारा किस्म के बादल कहीं समन्दर की दल-दल में फंस गए है या समन्दर की मौजो मे मौज उडा़ रहे हैं। हे मानसून जी, आपकी रैना के इन्तजार में हमारे नैना कब से आसमान में टकटकी लगाए बैठे है। नैना ज़रा दगाबाज क्या हुए, मानसून जी आपके बादल तो रंगबाजी पर उतर आए, जलाकर हमारी खाल को लाल कर दिया।
ये सभी प्राकृतिक सेवक अपनी सेवा में खरे नही उतर रहे है, इनकी दो दिन की तन्खवाह कटनी चाहिए। पहले तो आंधी ने फसलो की पैदावार आधी कर दी और अब मानसून से जो सुकून की उम्मीद थी, वो भी लेटलतीफी पर अमादा है। आधुनिकता के इस दौर में प्राकृतिक मानसून के लिए हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना, कदाचित उचित नहीं है। प्रकृति के भरोसे बैठे रहना, अब ठीक नहीं है, मानसून में भी एफ.डी.आई. "फटाफट डायरैक्ट इम्पोर्ट" का एक अध्यादेश लाकर मानसून के इम्पोर्ट को सुलभ बनाना चाहिए। हम एक कृषि पर आधारित इकोनामी के बाशिंदे हैं, हमारी इकानामी के लिए मानसून में एफ.डी.आई. बेहद जरूरी है। दुनियाभर में आए रिशैसन का भले ही हमारी मजबूत इकानामी पर मामूली असर हुआ हो, लेकिन प्रकृति के मानसून रिशैसन के लिए एक गंभीर चिंतन की जरुरत है।
रेडियो जाकी घनन घनन घिर-घिर आए बदरा बजाने के लिए बेताब हुए जा रहे है, बदरा ना जाने कौन-सी दुश्मनी का बदला लेने पर उतारू हैं बालीवुड दिमाग पर ऐसा छाया है कि बूँदो की बैछार, घनघनाते मेघ और कौंधती बिजली के बिना प्रेमी दिल तो जैसे  वेदनामय हो जाता है। मानसून जब तक तन -मन को ना भिगो दे, प्रेमी दिलो में रोमांस के लिए रूम नहीं बनता, जैसे-तैसे रूम बन भी जाए तो रूमानी नदारद रहती है मानसून आएगा, बारिश बरसेगी, कीचड़ फैलेगी, कीचड़ में प्रेमी रपटेगा तभी तो होगा "फाल इन लव"। मानसून की कमजोरी, दो दिलो में दूरी की मजबूरी बन गई है। हे मानसून जी, अब आन मिलो, बादलो से कहो कि कुछ हिलो डुलो, बिन बादल सब सून, मानसून "कम सून"।

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