राजनीति का त्यौहार (व्यंग्य)
त्यौहारों को हमारे देश
में विशेष गौरव प्राप्त है। धार्मिक, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय त्यौहारों की कतार में हाल के दिनों में एक एल.पी.एल. “ललित प्रोग्राम्ड लीग” का त्यौहार राजनैतिक हलकों में हाहाकार मचाए
हुए है। कोई चोटिल हो रहा है, कोई
बोल्ड, कोई छक्का मार रहा है तो किसी की बॉल नोबॉल हो रही है। खेल का मैदान छोड़ राजनीति के
मैदान में आज एल.पी.एल. का खूब बोलबाला है। खेल
ये एल.पी.एल. ने खेला निराला
है, राजनीति के मैदान पर ही
राजनीतिज्ञो का पसीना
निकाला है। राजनीति पर एल.पी.एल. ने डाला ऐसा
प्रभाव है, बाजार में ओंधे मूंह गिरा बहुतो का भाव है। इस प्रकोप से बचने का एक
ही उपाय है, मेलमिलाप छोड़ नियत दूरी बनाने में ही बचाव है। एल.पी.एल. का त्यौहार हर
त्यौहार से न्यारा है, एक दोस्त की बैटिंग है दूसरे
को बालिंग के लिए उतारा है।
एल.पी.एल. एक पारिवारिक और मेलमिलाप वाला त्यौहार है। इसमे बहु, बहन, बेटी, दामाद सभी अपना बहुमुल्य योगदान दे रहे है। होटल, रेस्त्रां जहां देखो मेलमिलाप हो रहा है, जिनका मेलमिलाप नहीं हो रहा, उनका मेलमिलाप पर विलाप हो रहा है। जो भी इस पारिवारिक मेलमिलाप का विरोधी है, वो परम्पराओं के आगे बढ़ने में अवरोधी है। एल.पी.एल. ने ना जाने राजनीति और खेल को कैसा मिक्स कर डाला है, कद्दावर राजनीतिज्ञो का भविष्य में इसने भयंकर रिस्क डाला है। जिधर देखो, आज एल.पी.एल. ही छाई है, लेकिन राजनीतिज्ञो के लिए ये मेलमिलाप बहुत दुखदाई है। एल.पी.एल. का ललितासन हर योगासन पर भारी पड़ रहा है। इधर योगासन वालो का चेहरा सफ़ेद पड़ रहा है, उधर ललितासन से चेहरा लंदन सा चमक रहा है।
खेल में खेल कोई नया खेल नहीं है, ये तो पुरातन खेल का नया नामीकरण है। एल.पी.एल. तो बस सी.डबल्यू.जी. "सिटी वैल्थ गेम" का नाम चेंज है, वो एक पार्टी का था गेम, इसकी सभी पार्टियों तक रेंज है। सी.डब्ल्यू.जी. पर जिसका कापीराइट है, उसी की एल.पी.एल. के विरोध में जारी फाइट हैं, विपक्षी होने के नाते ये उनका राइट है। सी.डब्ल्यू.जी. वालो के लिए गुडलक ललित का लंदन प्रवास हो गया, मुद्दा अब ये बेहद ख़ास हो गया, खेल के खेल में देखो पप्पू पास हो गया, चुनाव से भी बडा़ ये राजनीति का त्यौहार हो गया। ना जाने कितने चौके छक्के लगने अभी हैं बाक़ी, किसके अन्दर क्या है ये तो बस जाने साकी।
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